मंदबुद्धि बच्चें और न्यूरोथैरेपी

आज समाज में दिन-प्रतिदिन ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिनको हम सामान्य बच्चों को श्रेणी में नही रख सकते है, फिर चाहे ऐसे बच्चे मानसिक तौर, शारीरिक तौर, व्यावहारिक तौर या फिर सामाजिक तौर पर सामान्य बच्चों से अलग क्यों न हो। ऐसे बच्चें होने का क्या कारण होता है? उनके क्या लक्षण होगें या उनका क्या व्यवहार होगा जो उन्हे सामान्य बच्चों से अलग करता है और ऐसे बच्चों के उपचार के रूप में Neurotherapy कैसे अपनी अहम भूमिका निभाती है और कहां तक ऐसे बच्चों को एक सामान्य जीवन जीने के लिए मदद करती है। सामान्यता मंदबुद्धि बच्चें होने कईं कारण हो सकते हैं जिन्हें हम अलग-अलग समय के अनुसार समझ सकते हैं तो आइये समझे-

A. जन्म से पहले के कारण:-
  • आनुवांशिक व दोषपूर्ण गुणसूत्र।
  • गर्भ में बच्चे का विकास सही से न हो पाना।
  • गर्भावस्था के दौराना मां की अच्छी देखभाल न हो पाना।
  • गर्भावस्था के दौरान मां को कोई तकलीफ होना।
  • कम आयु में गर्भधारण करना।
  • गर्भावस्था के समय मां को थायरॉइड की समस्या का होना।
  • गर्भावस्था में मां को रूबेला हो जाना जो एक वायरस है जिसमें चेचक जैसे दाने निकलते है।
  • गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक शराब या घातक अल्कोहल का उपयोग।
  • गर्भावस्था के दौरान मां को त्वचा सम्बन्धित रोग का होना।
B. जन्म के समय वह कारण जो विकलांगता के कारण बन सकती है:-
  • जन्म के समय बच्चें के सिर पर भारी चोट लगना।
  • प्रसव पीड़ा के समय बच्चें को पर्याप्त Oxygen न मिलना।
  • प्रसव के दौरान Major आपरेशन का होना।
  • जन्म के तुरन्त बाद बच्चे का न रोना।
  • 24-34 हफ्तो के बीच बच्चें का जन्म होना भी एक कारण है।
  • जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना।
  • आपरेशन के दौरान बच्चे के सिर पर चोट लगना।
  • Medicine का Side Effect होना / दवाई का दुष्प्रभाव।
  • प्री मैच्योर डिलीवरी का होना।
  • बच्चे का नाडू उसके गले में अटकना।
  • जन्म से पहले ही गर्भाशय का पानी बाहर निकलना।
  • Forceps या Vacuum Suction Delivery का होना।
  • प्रसव के दौरान कमरे का तापमान अत्यधिक कम (Low) होना।
C. जन्म के बाद कौन-कौन से कारण हो सकते है?
  • किसी दुर्घटना के फलस्वरूप मस्तिष्क या स्नायु संस्थान को आघात पहुंचने के कारण।
  • जन्म के बाद बच्चों को उचित आहार न मिलने पर कुपोषण होना।
  • बचपन में ही निम्न बिमारियां का होना जैसे- एपीलैप्सी (मिरगी), काली खांसी आदि।
  • Meningitis का होना जो कि एक दिमागी संक्रमण का मानसिक विकलांगता का कारण है।
  • बच्चे में आयोडिन की कमी होना

लक्षण:
मानसिक तौर विकलांग बच्चों का I.Q Level स्तर बताता है कि बच्चा सामान्य है या सामान्य से नीचे किस स्तर पर है। सामान्य बच्चों का I.Q Level (70-75) होना चाहिए।
हल्की मंदबुद्धिता का I.Q Level (50-75) होना चाहिए, ऐसा मानसिक तौर पर विकलांग बच्चों में लगभग 85% देखा गया है।
मध्यता मंदबुद्धिता का I.Q Level (35-55), ऐसा मानसिक तौर पर विकलांग बच्चों में लगभग 10% देखा गया है।
गंभीर मंदबुद्धिता का IQ Level (20-40), ऐसा केवल लगभग 5% बच्चों में ही इतना कम I.Q. Level पाया जाता है।
गहन मंदबुद्धिता का I.Q. Level (20-25), यह बहुत ही कम बच्चों में होता है केवल 2% बच्चो की यह स्थिति होती है।

शारीरिक तौर पर लक्षण:-
ऐसे बच्चों का विकास अन्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से होता है।
अपनी उम्र के अनुसार अपने कार्य न कर पाना।
शारीरिक तौर पर शरीर की बनावट अलग होना, जैसे Down Syndrome के बच्चों में चेहरा मंगोलियन जाति के लोगों की तरह हो जाता है। चेहरा गोल, नाक छोटी, आंखे अंदर धंसी हुई, हाथ छोटे और मोटे तथा जीभ पर एक दरार होती है।

व्यवहारिक तौर पर दिखने वाले लक्षण:
  • अपनी उम्र के बच्चों के साथ घुल-मिल न पाना।
  • अकेले-अकेले रहना।
  • न्यूरोथैरेपी की भूमिका

न्यूरोथैरेपी एक भारतीय चिकित्सा पद्धति है जिसकी खोज डॉ० लाजपतराय मेहरा जी ने बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से की है। इस चिकित्सा पद्धति में हम शरीर के अलग-अलग अंग को एक निश्चित कोण पर रखकर निश्चित समय के लिए प्रेशर या दबाव देकर निश्चित Organ को Blood Supply देकर Stimulate करते है जिससे इस organ के कार्य की अनियमत्ता को ठीक करके बीमारी को ठीक किया जाता है।
Neurotherapy में शरीर के सभी System को ठीक किया जा सकता है। बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से हम यह उपचार देते हे और आवश्यक Chemical, Hormone, Enzyme को शरीर के अन्दर ही बनाने का कार्य करते है।
न्यूरोथैरेपी में इन बच्चों के उचित कारण को समझकर उनका उपचार किया जाता है और न्यूरोथैरेपी इन बच्चों के उपचार मैं बहुत ही अहम भूमिका निभाती है। देश भर के हजारो न्यूरोथैरेपी केन्द्र में आज ऐसे बच्चे आकर अपना सफल उपचार करा रहे है और अपनी असामान्य जिन्दगी को अब सामान्य तरीके से जी रहे है। यह चिकित्सा पद्धति शारीरिक और मानसिक तौर पर आने वाले सभी रोगों का उपचार बड़े ही सफलतापूर्वक कर रही है।
अन्त में मैं अपने 13 सालों के न्यूरोथैरेपी क्षेत्र के अनुभव के आधार ऐसे बच्चों के सभी माता-पिताओं से निवेदन करता हूं कि अपने बच्चों को न्यूरोथैरेपी से जोड़े व खुद इस चिकित्सा पद्धति को समझे। यह चिकित्सा पद्धति बिना किसी दवा, बिना किसी साइड इफैक्ट और बिना किसी औजार के पूर्ण रूप प्राकृतिक तरीके से ऐसे बच्चों का उपचार बड़े ही सफलतापूर्वक कर रही है। इसलिए आप भी इस चिकित्सा पद्धति का लाभ जरूर उठाये।

धन्यवाद।

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